प्रत्यक्षा की कहानी 'बलमवा तुम क्या जानो प्रीत' (स्वर ममता सिंह का)
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हमेशा की तरह अब तक की कहानियों की सूची-
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'कॉफी-हाउस' में हम हर हफ्ते एक कहानी लेकर हाजिर होते हैं।
जैसा कि हमने हमेशा कहते हैं कि हम हर दौर की कहानियां पढ़ना चाहते हैं।
'कथा-पाठ' का मक़सद यही है कि कहानियों को 'सुनने' का सिलसिला शुरू हो।
इस बार 'कॉफी-हाउस' में प्रस्तुत है प्रत्यक्षा की कहानी 'बलमवा तुम क्या जानो प्रीत'।
प्रत्यक्षा से आप भली-भांति परिचित हैं।
उनके दो कहानी संग्रह हैं--'पहर दोपहर ठुमरी' और 'जंगल का जादू तिल तिल'। प्रत्यक्षा का ब्लॉग यहां पढ़ा जा सकता है।
प्रत्यक्षा कविता और कहानियों की दुनिया की मुसाफिर हैं। उनके पास कहानी कहने का अपना एक मुहावरा है। उनकी कहानी में भी कविताई की छाप है। उनकी भाषा बड़ी ध्वन्यात्मक है। खनकती हुई-सी।
ज़ाहिर है कि 'कॉफी-हाउस' में उन्हें सुनकर आपको आनंद आयेगा।
हम शुक्रगुज़ार हैं कि उन्होंने अपनी कहानी 'कॉफी-हाउस' के लिए दी।
इस कहानी को सुनने के लिए आपको अपने व्यस्त जीवन में से तकरीबन बारह मिनिट निकालने होंगे।
Story: Balamva tum kya jaano preet
Writer: Pratyaksha
Voice: Mamta singh
Duration: 12:06
एक और प्लेयर ताकि सनद रहे।
जैसा कि हमने हमेशा कहते हैं कि हम हर दौर की कहानियां पढ़ना चाहते हैं।
'कथा-पाठ' का मक़सद यही है कि कहानियों को 'सुनने' का सिलसिला शुरू हो।
इस बार 'कॉफी-हाउस' में प्रस्तुत है प्रत्यक्षा की कहानी 'बलमवा तुम क्या जानो प्रीत'।
प्रत्यक्षा से आप भली-भांति परिचित हैं।
उनके दो कहानी संग्रह हैं--'पहर दोपहर ठुमरी' और 'जंगल का जादू तिल तिल'। प्रत्यक्षा का ब्लॉग यहां पढ़ा जा सकता है।
प्रत्यक्षा कविता और कहानियों की दुनिया की मुसाफिर हैं। उनके पास कहानी कहने का अपना एक मुहावरा है। उनकी कहानी में भी कविताई की छाप है। उनकी भाषा बड़ी ध्वन्यात्मक है। खनकती हुई-सी।
ज़ाहिर है कि 'कॉफी-हाउस' में उन्हें सुनकर आपको आनंद आयेगा।
हम शुक्रगुज़ार हैं कि उन्होंने अपनी कहानी 'कॉफी-हाउस' के लिए दी।
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Story: Balamva tum kya jaano preet
Writer: Pratyaksha
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हमेशा की तरह अब तक की कहानियों की सूची-
महादेवी वर्मा की रचना--'गिल्लू'
भीष्म साहनी की कहानी--'चीफ़
की दावत'
मन्नू भंडारी की कहानी-'सयानी
बुआ'
एंतोन चेखव की कहानी- 'एक छोटा-सा
मज़ाक़'
सियाराम शरण गुप्त की कहानी-- 'काकी'
हरिशंकर परसाई की रचना--'चिरऊ
महाराज'
सुधा अरोड़ा की कहानी--'एक औरत
तीन बटा चार'
सत्यजीत रे की कहानी--'सहपाठी'
जयशंकर प्रसाद की कहानी--'ममता'
दो बाल कहानियां--बड़े भैया के स्वर
में
उषा प्रियंवदा की कहानी ‘वापसी’
अमरकांत की कहानी 'दोपहर
का भोजन'
ओ. हेनरी की कहानी 'आखिरी
पत्ता'
लू शुन की कहानी ‘आखिरी बातचीत'
तो अब मिलते हैं अगले रविवार। एक नयी कहानी के पाठ के साथ।
लू शुन की कहानी ‘आखिरी बातचीत'
तो अब मिलते हैं अगले रविवार। एक नयी कहानी के पाठ के साथ।
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मज़ाक़'
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पत्ता'
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बहुत अच्छी कहानी और ममता जी का "बलमवा तुम क्या जानो प्रीत" पढ़ना बहुत समय तक याद रहेगा ...
जवाब देंहटाएंगाकर सुनातीं तो और भी अच्छा लगता और कहीं ज़्यादा समय तक याद रहता !
हटाएं:-)
मुझे पसंद आई थी ये कहानी. सुनने का अनुभव अच्छा रहा. यह ब्लॉग और इसका आइडिया, दोनों पसंद आये.
जवाब देंहटाएंआये, सुने..
जवाब देंहटाएंसुन्दर कहानी..
जवाब देंहटाएं"उनकी कहानी में भी कविताई की छाप है "
जवाब देंहटाएं-----
"श्रोता जिसका अर्थ समझ लें
वह तो तुकबन्दी है भाई
जिसे स्वयम् कवि समझ न पाये
वो कविता है सब से हाई"
- काका हाथरसी
kahani bahut achchhi lagi aur mamta singh ka swar bhi..........
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा प्रयास है...
जवाब देंहटाएंप्रत्यक्षा के जादूई शब्द और ममता जी की प्रभावी आवाज़ - बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंsunnaa achha lagaa ..
जवाब देंहटाएंmast
हटाएंmamta dee........you are awesome
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कहानी..उतनी ही अच्छी प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं.