लू शुन की कहानी 'आखिरी बातचीत' (स्वर यूनुस खान)
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एक और प्लेयर ताकि सनद रहे
और ये रही डाउनलोड कडियां
डाउनलोड कड़ी एक
डाउनलोड कड़ी दो
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'कॉफी हाउस' का मक़सद है जीवन में कहवा और कहानियों का संयोजन तैयार करना। जितनी देर में आप एक कॉफ़ी पीते हैं--उतने देर में एक कहानी भी सुनें। इसलिए तो हर रविवार हम लेकर आते हैं अपनी एक नयी प्रस्तुति।
लू-शुन को चीन का प्रेमचंद कहा जाता है। ज़रा दोनों की समानताएं देखिए।
लू शुन (1881-1936) प्रेमचंद (1880-1936)
1936 में दोनों की मृत्यु एक ही महीने यानी अक्तूबर में हुई थी।
लू शुन 19 अक्टूबर। प्रेमचंद 8 अक्टूबर।
दोनों की तस्वीरें देखिए।
'कॉफी-हाउस' में हमने अब तक ना तो प्रेमचंद को पढ़ा और ना ही लू-शुन को। साफ़ है कि 'कॉफी-हाउस' अभी अपने शैशव में है। और धीरे-धीरे हम इन दोनों महान कहानीकारों की कहानियां पढ़ेंगे। आज लू-शुन की कहानी सुनिए। इस कहानी को सुनने के लिए आपको अपने व्यस्त जीवन से केवल दो मिनिट सैंतीस सेकेन्ड ही निकालने होंगे।
Story : Aakhiri baatcheet.
Writer: Lu Xun
Voice: Yunus Khan
Duration: 2 37
लू-शुन को चीन का प्रेमचंद कहा जाता है। ज़रा दोनों की समानताएं देखिए।
लू शुन (1881-1936) प्रेमचंद (1880-1936)
1936 में दोनों की मृत्यु एक ही महीने यानी अक्तूबर में हुई थी।
लू शुन 19 अक्टूबर। प्रेमचंद 8 अक्टूबर।
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'कॉफी-हाउस' में हमने अब तक ना तो प्रेमचंद को पढ़ा और ना ही लू-शुन को। साफ़ है कि 'कॉफी-हाउस' अभी अपने शैशव में है। और धीरे-धीरे हम इन दोनों महान कहानीकारों की कहानियां पढ़ेंगे। आज लू-शुन की कहानी सुनिए। इस कहानी को सुनने के लिए आपको अपने व्यस्त जीवन से केवल दो मिनिट सैंतीस सेकेन्ड ही निकालने होंगे।
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हमेशा की तरह
अब तक की कहानियों की सूची:
महादेवी वर्मा
की रचना--'गिल्लू'
भीष्म साहनी
की कहानी--'चीफ़ की दावत'
मन्नू भंडारी
की कहानी-'सयानी बुआ'
एंतोन चेखव
की कहानी- 'एक छोटा-सा मज़ाक़'
सियाराम शरण
गुप्त की कहानी-- 'काकी'
हरिशंकर परसाई
की रचना--'चिरऊ महाराज'
सुधा अरोड़ा
की कहानी--'एक औरत तीन बटा चार'
सत्यजीत रे
की कहानी--'सहपाठी'
जयशंकर प्रसाद
की कहानी--'ममता'
दो बाल कहानियां--बड़े
भैया के स्वर में
उषा प्रियंवदा
की कहानी ‘वापसी’
अमरकांत की
कहानी 'दोपहर का भोजन'
ओ. हेनरी की कहानी 'आखिरी पत्ता'
तो मिलते हैं अगले सप्ताह। एक नयी कहानी के साथ।
ओ. हेनरी की कहानी 'आखिरी पत्ता'
तो मिलते हैं अगले सप्ताह। एक नयी कहानी के साथ।
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लू शुन (1881-1936) प्रेमचंद (1880-1936)
1936 में दोनों की मृत्यु एक ही महीने यानी अक्तूबर में हुई थी।
लू शुन 19 अक्टूबर। प्रेमचंद 8 अक्टूबर।
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'कॉफी-हाउस' में हमने अब तक ना तो प्रेमचंद को पढ़ा और ना ही लू-शुन को। साफ़ है कि 'कॉफी-हाउस' अभी अपने शैशव में है। और धीरे-धीरे हम इन दोनों महान कहानीकारों की कहानियां पढ़ेंगे। आज लू-शुन की कहानी सुनिए। इस कहानी को सुनने के लिए आपको अपने व्यस्त जीवन से केवल दो मिनिट सैंतीस सेकेन्ड ही निकालने होंगे।
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Writer: Lu Xun
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लू-शुन को चीन का प्रेमचंद कहा जाता है। ज़रा दोनों की समानताएं देखिए।
लू शुन (1881-1936) प्रेमचंद (1880-1936)
1936 में दोनों की मृत्यु एक ही महीने यानी अक्तूबर में हुई थी।
लू शुन 19 अक्टूबर। प्रेमचंद 8 अक्टूबर।
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भीष्म साहनी
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सियाराम शरण
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हरिशंकर परसाई
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सुधा अरोड़ा
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सत्यजीत रे
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जयशंकर प्रसाद
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दो बाल कहानियां--बड़े
भैया के स्वर में
उषा प्रियंवदा
की कहानी ‘वापसी’
अमरकांत की
कहानी 'दोपहर का भोजन'
ओ. हेनरी की कहानी 'आखिरी पत्ता'
तो मिलते हैं अगले सप्ताह। एक नयी कहानी के साथ।
ओ. हेनरी की कहानी 'आखिरी पत्ता'
तो मिलते हैं अगले सप्ताह। एक नयी कहानी के साथ।
आभार..सुन कर अच्छा लगा..
जवाब देंहटाएंaachi lagee-niharika
जवाब देंहटाएंयाद आ गयी बरसों पहले अपने ही अस्पताल में बिस्तर पर लेटे अपने बाबू जी से अपनी आख़िरी बातचीत...
जवाब देंहटाएं...एक साथ एक डॉक्टर और एक बेटे की !
:’( :’( :’(
अच्छी कहानी ...और आपके वाचन का तो जबाब नहीं ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर कहानी है।
जवाब देंहटाएंTHANK'S SIR, THERE IS MIRCALN IN YOUR VOICE!!!
जवाब देंहटाएंTHANK'S SIR, THERE IS MIRCALN IN YOUR VOICE!!!
जवाब देंहटाएंअच्छी कहानी...अनुवादक कौन है?
जवाब देंहटाएं