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रविवार, 28 जुलाई 2013

सत्‍यजीत रे की कहानी 'सहपाठी' (स्‍वर यूनुस ख़ान)

"
कॉफी-हाउस में हम हर रविवार को आपसे मुख़ातिब होते हैं।
हमारा मक़सद है सुनने के लिए कहानियां उपलब्‍ध कराना।
इन कहानियों को डाउनलोड करके आपस में शेयर भी किया जा सकता है।

इस बार प्रस्‍तुत है सत्‍यजीत रे की कहानी 'सहपाठी'। 


नामचीन फिल्‍मकार सत्‍यजीत रे की रचनाओं ने ख़ासी दिलचस्‍पी पैदा की है। उनकी कई और रचनाओं का पाठ भी हम यहां करना चाहेंगे। इस कहानी को सुनने के लिए आपको अपने व्‍यस्‍त जीवन में से अठारह मिनिट दस सेकेन्‍ड निकालने होंगे। 

चित्र साभार- इस साइट से 

'कॉफी-हाउस' पर हर रविवार कहानियों का सिलसिला जारी रहेगा। पिछली सभी कहानियां डाउनलोड के लिए उपलब्‍ध हैं। अगर डाउनलोड में किसी तरह की समस्‍या हो तो बेझिझक बतायें।

Stroy: Sahpathi
Written by: satyajit ray
Translated by: Dr. Ranjit Saha

Voice: Yunus khan
Duration: 18 10



एक और प्‍लेयर (ताकि सनद रहे) 


डाउनलोड कड़ी- ये रही 
एक और डाउनलोड कड़ी है-- ये 

'कॉफी-हाउस' पर ये कहानियां भी सुनने और डाउनलोड के लिए उपलब्‍ध हैं।

महादेवी वर्मा का संस्‍मरण--'गिल्‍लू'
भीष्‍म साहनी की कहानी-'चीफ़ की दावत'
मन्‍नू भंडारी की कहानी- 'सयानी बुआ'
एंतोन चेखव की कहानी--'एक छोटा-सा मज़ाक'
सियारामशरण गुप्‍त की कहानी - 'काकी'
हरिशंकर परसाई की कहानी -'चिरऊ महाराज'
सुधा अरोड़ा की कहानी- 'एक और तीन बटा चार'

तो मिलते हैं अगले रविवार एक नयी कहानी के साथ।  
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कॉफी-हाउस में हम हर रविवार को आपसे मुख़ातिब होते हैं।
हमारा मक़सद है सुनने के लिए कहानियां उपलब्‍ध कराना।
इन कहानियों को डाउनलोड करके आपस में शेयर भी किया जा सकता है।

इस बार प्रस्‍तुत है सत्‍यजीत रे की कहानी 'सहपाठी'। 


नामचीन फिल्‍मकार सत्‍यजीत रे की रचनाओं ने ख़ासी दिलचस्‍पी पैदा की है। उनकी कई और रचनाओं का पाठ भी हम यहां करना चाहेंगे। इस कहानी को सुनने के लिए आपको अपने व्‍यस्‍त जीवन में से अठारह मिनिट दस सेकेन्‍ड निकालने होंगे। 

चित्र साभार- इस साइट से 

'कॉफी-हाउस' पर हर रविवार कहानियों का सिलसिला जारी रहेगा। पिछली सभी कहानियां डाउनलोड के लिए उपलब्‍ध हैं। अगर डाउनलोड में किसी तरह की समस्‍या हो तो बेझिझक बतायें।

Stroy: Sahpathi
Written by: satyajit ray
Translated by: Dr. Ranjit Saha

Voice: Yunus khan
Duration: 18 10



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डाउनलोड कड़ी- ये रही 
एक और डाउनलोड कड़ी है-- ये 

'कॉफी-हाउस' पर ये कहानियां भी सुनने और डाउनलोड के लिए उपलब्‍ध हैं।

महादेवी वर्मा का संस्‍मरण--'गिल्‍लू'
भीष्‍म साहनी की कहानी-'चीफ़ की दावत'
मन्‍नू भंडारी की कहानी- 'सयानी बुआ'
एंतोन चेखव की कहानी--'एक छोटा-सा मज़ाक'
सियारामशरण गुप्‍त की कहानी - 'काकी'
हरिशंकर परसाई की कहानी -'चिरऊ महाराज'
सुधा अरोड़ा की कहानी- 'एक और तीन बटा चार'

तो मिलते हैं अगले रविवार एक नयी कहानी के साथ।  

3 टिप्पणियाँ:

  1. स्कूली जीवन के तमाम बिछड़े,न बिछड़े सहपाठियों की यादें ताज़ा हो गयीं इसी बहाने ।

    कहीं न कहीं हम सबके जीवन की भी सच्चाई है यह कहानी ।

    सत्यजीत रे के इस रूप से भी परिचित कराने के लिये धन्यवाद !

    ...और आप दोनों की आवाज़ें जो चार चांद लगा देती हैं ऐसी रचनाओं में; उसके बारे में बार-बार कहने की कोई ज़रूरत है क्या ?

    जवाब देंहटाएं
  2. अद्भुत कहानी और अद्भुत पाठ। सुबह-सुबह इसको सुनकर बहुत अच्छा लगा।

    ’रेडियो सखी’ और’जादू के पापा’ की इतवारी प्रस्तुतियों का इंतजार रहता है अब तो।

    जय हो।

    जवाब देंहटाएं