गिल्लू- महादेवी वर्मा ... स्वर रेडियोसखी ममता सिंह

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नमस्कार। कथा-पाठ के ब्लॉग 'कॉफी-हाउस' में आपका स्वागत है।
हर हफ्ते हम एक कहानी के साथ उपस्थित होंगे।
इन कहानियों को आप डाउनलोड करके वितरित भी कर सकते हैं।
'कॉफी-हाउस' की शुरूआत महादेवी वर्मा के कालजयी संस्मरण 'गिल्लू' से की जा रही है।
ये...
नमस्कार। कथा-पाठ के ब्लॉग 'कॉफी-हाउस' में आपका स्वागत है।
हर हफ्ते हम एक कहानी के साथ उपस्थित होंगे।
इन कहानियों को आप डाउनलोड करके वितरित भी कर सकते हैं।
'कॉफी-हाउस' की शुरूआत महादेवी वर्मा के कालजयी संस्मरण 'गिल्लू' से की जा रही है।
ये प्रसिद्ध पुस्तक 'मेरा परिवार' में संग्रहीत है।
गिल्लू पढ़ते या सुनते हुए हम सब अपने आप को गिल्लू के इर्दगिर्द पाते हैं। ये रचना हमें भावुक कर जाती है।
इस कहानी को सुनने के लिए आपको अपनी जिंदगी से नौ मिनिट दस सेकेन्ड निकालने होंगे। अगर आप इसे अपने किसी साथी के साथ बांटना चाहते हैं, तो डाउनलोड कड़ी संलग्न है।
स्वर रेडियोसखी ममता सिंह का।
और ये रही डाउनलोड लिंक। क्लिक करें और डाउनलोड करें।
डाउनलोड कड़ी
सुन्दर आवाज, अच्छी पहल
जवाब देंहटाएंसुंदर शुरुआत के लिए बधाई.
जवाब देंहटाएंसुबह-सुबह रेडियो सखी की आवाज में महादेवी वर्मा जी का लेख सुनना मजेदार अनुभव रहा।
जवाब देंहटाएंसुनकर कहानी का संप्रेषण और स्पष्ट हो जाता है।
जवाब देंहटाएंइतना मज़ा तो स्कूली दिनों में किताब में ये कहानी पढ़ कर भी नहीं आया था ।
जवाब देंहटाएंमूलत:, पारम्परिक रूप से, कहानी सुनने-सुनने की ही विधा रही है,न कि लिखने-पढ़ने की ।
आवाज़ों में कहानी सुनने-सुनाने की इसी परम्परा के आधुनिक, तकनीकी पुनर्निर्वहन के इतने सुन्दर प्रयास के लिये ढेरों बधाइयाँ,शुभकामनायें और हार्दिक धन्यवाद !
माहादेवी जी के शब्द और ’रेडियोसखी’जी की आवाज़ !....
...यानि खरा सोना और सुहागा - दोनों ही इलाहाबादी !!
अगली कहानियों का भी इन्तज़ार है-
बेहद बेसब्री से !
इससे बढ़िया दूसरा कोई उपहार हो ही नहीं सकता था
हमारे जैसे कथा-प्रेमियों के लिये !!
- "डाक साब"
बहुत -बहुत आभार..अनुभवी आवाजों को सुनने के लिए आसानी से उपलब्ध करवाने के लिए
जवाब देंहटाएंEven after creating an account I no able t download.
जवाब देंहटाएंजी डाउनलोड करने के लिए ब्लॉग पर दी गयी लिंक पर क्लिक कीजिए। और फिर कुछ सेकेन्ड इंतज़ार कीजिए। जिससे डाउनलोड पेज खुलेगा। वहां डाउनलोड बॉक्स पर क्लिक करके डाउनलोड कीजिए।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम प्रयास ..pustaksadan
जवाब देंहटाएंGood Initiative. Refreshing.
जवाब देंहटाएंGood initiative, Refreshing.
जवाब देंहटाएंआहा ! अब समझ में आया कि रेडियोसखी की आवाज़ का तिलिस्म क्या है ! ...
जवाब देंहटाएंमहादेवी का ये संस्मरण शायद मन को यूँ आर्द्र न करता अगर इसको ममता सिंह के भाव भीगे स्वर न मिले होते !
एक एक शब्द सप्राण हो आया .... गिल्लू आँखों के सामने जीवंत फुदक रहा था .. महादेवी के सिरहाने किसी दक्ष परिचारिका सा उनको सहला रहा था .... और फिर एक दिन यूँ ही शांत भी हो गया !.....
मन अभी तक उस अवसाद में डूबा हुआ सा है !
इतनी अद्भुत पहल के लिए अनेकों बधाइयाँ और भविष्य के लिए अनंत शुभकामनाएँ !
शुद्धि-पत्र
जवाब देंहटाएं-------
सुबह की अस्पताली हड़बड़ी में वर्तनी की अशुद्धियाँ रह गयी हैं हमारी ऊपर की पिछली टिप्पणी में ।
"सुनने-सुनने" की जगह कृपया "सुनने-सुनाने" पढ़ा जाए-दूसरी पंक्ति में ।
महीयसी "महादेवी" जी के नाम की वर्तनी भी अशुद्ध टंकित हो गयी है - उसी जल्दबाज़ी में ।
क्षमाप्रार्थी हैं !
- "डाक साब"
हमने भी आकाशवाणी से पिछले वर्ष तक अपनी कहानियां और गद्य व्यंग्य पढ़े . और फिर उन्हें प्रसारण में सुना. आज महा देवी जी की 'जातिवाचक से व्यक्तिवाचक' बनाती इस कथा को खूबसूरत अंदाज़ में सुनकर आनान्दित हो उठा . मित्र यूनुस को बधाइ.
जवाब देंहटाएं[] राकेश सोहम
शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया.....बहुत दिनों से इस चाह में थी कि कहीं तो हिन्दी की औडियो पुस्तक मिले...पर नाकामयाब रही...अब आपकी इस कोशिश के बदौलत मैं सुन पाऊँगी अपनी मनपसंद कहानियाँ...खूब शुक्रिया पूरी टीम को...कृपया सप्लाई निरंतर करें...बहुत प्यासी हूँ मैं...:)
जवाब देंहटाएंसुनीता सनाढ्य पाण्डेय
ममता जी और यूनुस भाई का इस पहल के लिए बहुत शुक्रिया और आगे के लिए शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंमैंने भाषा सरिता में शायद सातवीं कक्षा में ये कहानी पढ़ी थी । सच तो ये है कि छोटी सी गिलहरी की इस कथा ने मुझे उस वक़्त उनकी कविताओं से ज्यादा उद्वेलित कर दिया था। बाद के सालों में भी चरित्र हमारी क्लास के मन में छाया रहा तभी तो अपनी भूगोल की शिक्षिका के गिलहरी की पूँछ सदृश लटकते पॉनीटेल को हमने शरारत में गिल्लू चिक चिक का नाम दे दिया था। बहरहाल शानदार शुरुआत ज़ारी रखें।
जवाब देंहटाएंवाह! शब्दहीन हूं मैं.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर पहल।
जवाब देंहटाएंबढ़िया....... मेरे बच्चों मौली और चारुकृष्ण को कहानी सुनने मेन बहुत मज़ा आया...... वो अगली कहानी का इंतज़ार अभी से कर रहे हैं....
जवाब देंहटाएंanupam prastuti....! sakhi-saheli ki yaad aa gaee....! ab yunus bhai ki baari..:-))
जवाब देंहटाएंMaza aaya.
जवाब देंहटाएंममता की आवाज़ और गिल्लू की कथा .. आनंद आ गया! ये अच्छी शुरुआत की आपने युनुस!
जवाब देंहटाएंvery nicely read , interesting to listen, easy to understand
जवाब देंहटाएंthis coffee house is entertainment, healthy reading, happy listening for all ge groups, specially for those who love stories but can not find time to read, invalids, bedriddenppl, small children and working
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