Sosial media

रविवार, 23 फ़रवरी 2014

अमरकांत की कहानी 'पलाश के फूल' और 'बड़े भैया' की आवाज़ में बाल कहानियां

"
'कॉफी हाउस' में आज हम श्रद्धांजलि दे रहे हैं दो महत्‍वपूर्ण हस्तियों को..जिन्‍होंने इस सप्‍ताह इस असार संसार को विदा कह दिया। हिंदी के महत्‍वपूर्ण कथाकार अमरकांत और रेडियो की दुनिया की महत्‍वपूर्ण हस्‍ती विजय बोस यानी ब़ड़े भैया। 'कॉफी हाउस' में दोनों पर केंद्रित प्रस्‍तुतियां पहले हो चुकी हैं।

अमरकांत को यशपाल भारत का गोर्की कहा करते थे।

'जिंदगी और जोंक', 'हत्‍यारे', 'डिप्‍टी कलेक्‍टरी' और 'दोपहर का भोजन' जैसी बेमिसाल कहानियां देने वाले अमरकांत का 17 फरवरी 2014 को इलाहाबाद में निधन हो गया। उन्‍हें ज्ञानपीठ पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया जा चुका था। 'कॉफी हाउस' में हम हिंदी के अपने इस प्रिय कहानीकार की कहानी लेकर आये हैं 'पलाश के फूल'। इसे सुनने के लिए आपको अपने व्‍यस्‍त जीवन में से तकरीबन अठारह मिनिट निकालने होंगे।

Story: Palaash Ke Phool
Writer: Amarkant
Voice: Yunus Khan
Duration: 18 18



एक और प्‍लेयर ताकि सनद रहे।


इन कहानियों को आप डाउनलोड करके मित्रों रिश्‍तेदारों के साथ साझा भी कर सकते हैं

Download Link 1
Download Link 2

अमरकांत की कहानी 'दोपहर का भोजन' हमने 'कॉफी हाउस' पर अगस्‍त 2013 में प्रस्‍तुत की थी। उसे आप यहां क्लिक करके सुन सकते हैं।

अगस्‍त 2013 में ही इलाहाबाद आकाशवाणी के अनमोल स्‍वर, बड़े भैया विजय बोस की आवाज़ में हमने दो बाल कहानियां प्रस्‍तुत की थीं।
इलाहाबाद में पले-बढ़े लोगों को 'बड़े भैया' का प्रस्‍तुत किया कार्यक्रम 'बाल संघ' ज़रूर याद होगा। वो रेडियो का स्‍वर्ण युग था। और तब उनकी आवाज़ बहुत बहुत मकबूल हुआ करती थी। 'बड़े भैया' के बारे में 'रेडियोनामा' ब्‍लॉग की इन पोस्‍ट्स को पढ़कर आप और भी बहुत कुछ जान सकते हैं।

रेडियोनामा पोस्‍ट एक 
रेडियोनामा पोस्‍ट दो 

अभी सत्रह फरवरी को 'बड़े भैया' ने संसार से विदा ली। उनकी ये कहानियां हमारे लिए अनमोल विरासत की तरह हैं उनकी आंखों की तरह। सुनिए दो बाल कहानियां बड़े भैया के स्‍वर में।

बाल कहानी- कामचोर दीपू बंदर



बाल कहानी- अकलमंद हंस


दोनों कहानियों के डाउनलोड लिंक इस पेज पर मौजूद हैं।
विजय बोस यानी बड़े भैया जाते-जाते भी दो नेत्रहीनों को रोशनी दे गये। उन्‍होंने अपनी आंखें दान कीं। जिससे दो लोगों को दुनिया देखने की काबलियत हासिल हुई। ज्‍यादा जानकारी के लिए ये ख़बर पढें।


मशहूर कथाकार अमरकांत और मशहूर ब्रॉडकास्‍टर बड़े भैया को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।
ये भी कह दें कि 'कॉफी-हाउस' की कहानियों को आप डाउनलोड करके अपने मित्रों-आत्‍मीयों के साथ बांट सकते हैं। साझा कर सकते हैं। कोई समस्‍या है तो ये ट्यूटोरियल पढ़ें

अब तक की कहानियों की सूची- 
महादेवी वर्मा की रचना--'गिल्‍लू'
भीष्‍म साहनी की कहानी--'चीफ़ की दावत'
मन्‍नू भंडारी की कहानी-'सयानी बुआ'
एंतोन चेखव की कहानी- 'एक छोटा-सा मज़ाक़'
सियाराम शरण गुप्‍त की कहानी-- 'काकी'
हरिशंकर परसाई की रचना--'चिरऊ महाराज'
सुधा अरोड़ा की कहानी--'एक औरत तीन बटा चार'
सत्‍यजीत रे की कहानी--'सहपाठी'
जयशंकर प्रसाद की कहानी--'ममता'
दो बाल कहानियां--बड़े भैया के स्‍वर में
उषा प्रियंवदा की कहानी वापसी
अमरकांत की कहानी 'दोपहर का भोजन'
ओ. हेनरी की कहानी 'आखिरी पत्‍ता'
लू शुन की कहानी आखिरी बातचीत'
प्रत्‍यक्षा की कहानी 'बलमवा तुम क्‍या जानो प्रीत'
अज्ञेय की कहानी 'गैंगरीन'
महादेवी वर्मा का संस्‍मरण 'सोना हिरणा'
ओमा शर्मा की कहानी ग्‍लोबलाइज़ेशन
ममता कालिया की कहानी 
लैला मजनूं
प्रेमचंद की कहानी 'बड़े भाई साहब'
सूरज प्रकाश की कहानी 'दो जीवन समांतर'
कुमार अंबुज की कहानी 'एक दिन मन्‍ना डे'
अमृता प्रीतम की कहानी- 'एक जीवी, एक रत्‍नी, एक सपना'
जादू की सुनाई पापा की कहानी 'बादल भाई'
उदय प्रकाश की कहानी-'नेलकटर'
सूर्यबाला की कहानी 'दादी और रिमोट'
एस. आर. हरनोट की कहानी 'मोबाइल'
स्‍वयं प्रकाश की कहानी 'नीलकांत का सफर'
जादू की कहानी 'बदमाश कौआ'
प्रेमचंद गांधी की कहानी--'31 दिसंबर की रात''
रवींद्र कालिया की कहानी- 'गोरैया'।
अरविंद की कहानी 'रेडियो'
लक्ष्‍मी शर्मा की कहानी 'बातें'
हरिशंकर परसाई का व्‍यंग्‍य 'ठिठुरता हुआ गणतंत्र'
चंदन पांडे की कहानी 'मोहर'
कैलाश वानखेड़े की कहानी 'सत्‍यापित'
विभा रानी की कहानी 'मोहन जोदाड़ो की नंगी मूरत' 

"
'कॉफी हाउस' में आज हम श्रद्धांजलि दे रहे हैं दो महत्‍वपूर्ण हस्तियों को..जिन्‍होंने इस सप्‍ताह इस असार संसार को विदा कह दिया। हिंदी के महत्‍वपूर्ण कथाकार अमरकांत और रेडियो की दुनिया की महत्‍वपूर्ण हस्‍ती विजय बोस यानी ब़ड़े भैया। 'कॉफी हाउस' में दोनों पर केंद्रित प्रस्‍तुतियां पहले हो चुकी हैं।

अमरकांत को यशपाल भारत का गोर्की कहा करते थे।

'जिंदगी और जोंक', 'हत्‍यारे', 'डिप्‍टी कलेक्‍टरी' और 'दोपहर का भोजन' जैसी बेमिसाल कहानियां देने वाले अमरकांत का 17 फरवरी 2014 को इलाहाबाद में निधन हो गया। उन्‍हें ज्ञानपीठ पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया जा चुका था। 'कॉफी हाउस' में हम हिंदी के अपने इस प्रिय कहानीकार की कहानी लेकर आये हैं 'पलाश के फूल'। इसे सुनने के लिए आपको अपने व्‍यस्‍त जीवन में से तकरीबन अठारह मिनिट निकालने होंगे।

Story: Palaash Ke Phool
Writer: Amarkant
Voice: Yunus Khan
Duration: 18 18



एक और प्‍लेयर ताकि सनद रहे।


इन कहानियों को आप डाउनलोड करके मित्रों रिश्‍तेदारों के साथ साझा भी कर सकते हैं

Download Link 1
Download Link 2

अमरकांत की कहानी 'दोपहर का भोजन' हमने 'कॉफी हाउस' पर अगस्‍त 2013 में प्रस्‍तुत की थी। उसे आप यहां क्लिक करके सुन सकते हैं।

अगस्‍त 2013 में ही इलाहाबाद आकाशवाणी के अनमोल स्‍वर, बड़े भैया विजय बोस की आवाज़ में हमने दो बाल कहानियां प्रस्‍तुत की थीं।
इलाहाबाद में पले-बढ़े लोगों को 'बड़े भैया' का प्रस्‍तुत किया कार्यक्रम 'बाल संघ' ज़रूर याद होगा। वो रेडियो का स्‍वर्ण युग था। और तब उनकी आवाज़ बहुत बहुत मकबूल हुआ करती थी। 'बड़े भैया' के बारे में 'रेडियोनामा' ब्‍लॉग की इन पोस्‍ट्स को पढ़कर आप और भी बहुत कुछ जान सकते हैं।

रेडियोनामा पोस्‍ट एक 
रेडियोनामा पोस्‍ट दो 

अभी सत्रह फरवरी को 'बड़े भैया' ने संसार से विदा ली। उनकी ये कहानियां हमारे लिए अनमोल विरासत की तरह हैं उनकी आंखों की तरह। सुनिए दो बाल कहानियां बड़े भैया के स्‍वर में।

बाल कहानी- कामचोर दीपू बंदर



बाल कहानी- अकलमंद हंस


दोनों कहानियों के डाउनलोड लिंक इस पेज पर मौजूद हैं।
विजय बोस यानी बड़े भैया जाते-जाते भी दो नेत्रहीनों को रोशनी दे गये। उन्‍होंने अपनी आंखें दान कीं। जिससे दो लोगों को दुनिया देखने की काबलियत हासिल हुई। ज्‍यादा जानकारी के लिए ये ख़बर पढें।


मशहूर कथाकार अमरकांत और मशहूर ब्रॉडकास्‍टर बड़े भैया को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।
ये भी कह दें कि 'कॉफी-हाउस' की कहानियों को आप डाउनलोड करके अपने मित्रों-आत्‍मीयों के साथ बांट सकते हैं। साझा कर सकते हैं। कोई समस्‍या है तो ये ट्यूटोरियल पढ़ें

अब तक की कहानियों की सूची- 
महादेवी वर्मा की रचना--'गिल्‍लू'
भीष्‍म साहनी की कहानी--'चीफ़ की दावत'
मन्‍नू भंडारी की कहानी-'सयानी बुआ'
एंतोन चेखव की कहानी- 'एक छोटा-सा मज़ाक़'
सियाराम शरण गुप्‍त की कहानी-- 'काकी'
हरिशंकर परसाई की रचना--'चिरऊ महाराज'
सुधा अरोड़ा की कहानी--'एक औरत तीन बटा चार'
सत्‍यजीत रे की कहानी--'सहपाठी'
जयशंकर प्रसाद की कहानी--'ममता'
दो बाल कहानियां--बड़े भैया के स्‍वर में
उषा प्रियंवदा की कहानी वापसी
अमरकांत की कहानी 'दोपहर का भोजन'
ओ. हेनरी की कहानी 'आखिरी पत्‍ता'
लू शुन की कहानी आखिरी बातचीत'
प्रत्‍यक्षा की कहानी 'बलमवा तुम क्‍या जानो प्रीत'
अज्ञेय की कहानी 'गैंगरीन'
महादेवी वर्मा का संस्‍मरण 'सोना हिरणा'
ओमा शर्मा की कहानी ग्‍लोबलाइज़ेशन
ममता कालिया की कहानी 
लैला मजनूं
प्रेमचंद की कहानी 'बड़े भाई साहब'
सूरज प्रकाश की कहानी 'दो जीवन समांतर'
कुमार अंबुज की कहानी 'एक दिन मन्‍ना डे'
अमृता प्रीतम की कहानी- 'एक जीवी, एक रत्‍नी, एक सपना'
जादू की सुनाई पापा की कहानी 'बादल भाई'
उदय प्रकाश की कहानी-'नेलकटर'
सूर्यबाला की कहानी 'दादी और रिमोट'
एस. आर. हरनोट की कहानी 'मोबाइल'
स्‍वयं प्रकाश की कहानी 'नीलकांत का सफर'
जादू की कहानी 'बदमाश कौआ'
प्रेमचंद गांधी की कहानी--'31 दिसंबर की रात''
रवींद्र कालिया की कहानी- 'गोरैया'।
अरविंद की कहानी 'रेडियो'
लक्ष्‍मी शर्मा की कहानी 'बातें'
हरिशंकर परसाई का व्‍यंग्‍य 'ठिठुरता हुआ गणतंत्र'
चंदन पांडे की कहानी 'मोहर'
कैलाश वानखेड़े की कहानी 'सत्‍यापित'
विभा रानी की कहानी 'मोहन जोदाड़ो की नंगी मूरत' 

2 टिप्पणियाँ:

  1. अपने रचना-कर्म द्वारा समाज को बहुत कुछ देने वाले रचनाधर्मी कलाकार तो बहुत हुए हैं, किन्तु नेत्रदान जैसे मानव-धर्म द्वारा अपनी जीवन –यात्रा के बाद भी औरों को नया जीवन देने वाले बड़े भैया जैसे दधीचि सदृश ऋषि-पुरुष विरले ही होते हैं ।

    सच तो यह है कि उनकी दोनों आँखें भी हमारी अनमोल विरासत हैं; उनकी इन दो बाल-कहानियों जैसी असंख्य, अमर प्रस्तुतियों की तरह !

    जवाब देंहटाएं