संदीप मील की कहानी 'बाक़ी मसले' (आवाज़ यूनुस ख़ान की)

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Read moreयातना के क्षण मेरे अपने हैं, आज जब सब-कुछ पीछे छूट गया है तो लगता है कि ये क्षण ही मेरे प्रिय क्षण हैं और उनसे उपजी कहानियां ही प्रिय कहानियां......मन्नू भंडारी
Read moreअपनी पुरानी कहानियाँ पढ़ते हुए गहरा आश्चर्य होता है कि मैंने ही उन्हें कभी लिखा था। लगता है कि मैं किसी अजनबी लेखक की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ जिसे मैं पहले कभी जानता था।.....निर्मल वर्मा था।.....निर्मल वर्मा
Read moreकॉफी-हाउस आपका ब्लॉग है। हर रविवार एक कहानी। आप हमें कहानियां सुझा सकते हैं। हम समकालीन लेखकों की कहानियां भी उनकी सहमति प्राप्त करके पढ़ना चाहेंगे।
Read moreप्रस्तुतकर्ता Yunus Khan पर 10:27 am 25 टिप्पणियाँ
लेबल: बाक़ी मसले, यूनुस ख़ान, संदीप मील
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लेबल: जाफ़र मेहदी जाफ़री, ममता सिंह, सफेद फूल
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लेबल: अरूंधती, यूनुस ख़ान, शिवानी
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लेबल: काबुलीवाला, यूनुस ख़ान, रवींद्रनाथ टैगोर, kabuliwala
प्रस्तुतकर्ता Yunus Khan पर 9:22 am 5 टिप्पणियाँ
लेबल: पिता, यूनुस ख़ान, विमलेश त्रिपाठी