tag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post3820035663778241989..comments2023-11-30T14:13:45.449+05:30Comments on कॉफी-हाउस: कुमार अंबुज की कहानी 'एक दिन मन्ना डे' (स्वर यूनुस ख़ान) Yunus Khanhttp://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post-11797321280868797802016-05-01T18:33:06.728+05:302016-05-01T18:33:06.728+05:30हम खुश हैं .... कि हमने मन्ना दे को साक्षात् सुना ...हम खुश हैं .... कि हमने मन्ना दे को साक्षात् सुना है. Uday Singh Tundelehttps://www.blogger.com/profile/08556863281922075190noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post-92039105501174647042013-11-05T14:49:06.957+05:302013-11-05T14:49:06.957+05:30वाह कहानी के अलावा वाचक की खनकती आवाज, जैसे सोने प...वाह कहानी के अलावा वाचक की खनकती आवाज, जैसे सोने पर सुहागाआाशीष देवलियाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post-54849289292702194932013-11-05T06:30:24.934+05:302013-11-05T06:30:24.934+05:30इतने दिनों में इतनी कहानियों में इतने श्रोताओं की ...इतने दिनों में इतनी कहानियों में इतने श्रोताओं की टिप्पणियाँ पढ़ीं; यहाँ तक कि वाचकों और ख़ुद लेखकों तक की भी; लेकिन किसी कहानी के ख़ुद किसी पात्र की टिप्पणी पहली बार पढ़ी ।<br /><br />इस चमत्कार को लेखक की लेखनी का असर समझें या वाचक की आवाज़ और एकदम नये प्रयोग का ?डाक साबnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post-46377858852261276692013-11-04T16:32:09.980+05:302013-11-04T16:32:09.980+05:30अंबुज जी, युनुस जी आप दोनों बधाई के पात्र हैं
एक म...अंबुज जी, युनुस जी आप दोनों बधाई के पात्र हैं<br />एक मार्मिक कहानी लिखना और उसे जीवंत कर देना, <br />ये आप दोनों से ही हो पाया<br />इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद और बधाईया<br /><br />सच बात कहुँ यह ख्याल कभी हमारी भी आँखों को गीला कर गया था<br />वही ख्याल आप दोनों से सुन कर मन फिर उस छड़ और उस घडी में चला गया <br />और पुरे शरीर में एक झुरझुरी सी दौड़ गयीAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18375704602290875265noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post-52890409594653725532013-11-04T13:49:05.260+05:302013-11-04T13:49:05.260+05:30शुक्रिया कुमार अंबुज जी। आपकी राय हमारे लिए बहुत म...शुक्रिया कुमार अंबुज जी। आपकी राय हमारे लिए बहुत मायने रखती है। Yunus Khanhttps://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post-6104125024169338962013-11-04T00:00:43.397+05:302013-11-04T00:00:43.397+05:30इस कहानी को आपके स्वर में श्रोता की तरह सुनना बेह...इस कहानी को आपके स्वर में श्रोता की तरह सुनना बेहद दिलचस्प अनुभव रहा। इस तरह अपनी ही रचना से एक सर्जनात्मक दूरी और उत्सुकता बनती है। आपने कहानी के अंत में मन्ना के गाने के साउण्ड ट्रेक को पिरोकर एक सुंदर प्रयोग किया है। और आपकी आवाज की बहुआयामिता में, साहित्य के प्रति आपका अनुराग अलग से चमकता है। धन्यवाद और बधाई। आप अपने इस ब्लॉग में धीरे-धीरे अनेक महत्वपूर्ण कहानियों का एक अलबम बना रहे हैं। यह दृष्टव्य और रेखांकित करने योग्य है। कुमार अम्बुजhttps://www.blogger.com/profile/02635510768553914710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post-31767569097444718732013-11-03T22:53:36.394+05:302013-11-03T22:53:36.394+05:30Behtrin...................Behtrin...................deepak guptanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post-48345996568140083962013-11-03T16:05:00.744+05:302013-11-03T16:05:00.744+05:30शानदारशानदारDeepankar Joshihttps://www.blogger.com/profile/16095796925864675445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post-34624578395657287402013-11-03T14:30:27.750+05:302013-11-03T14:30:27.750+05:30अम्बुज जी !
उस शाम रवीन्द्र भवन में मुलाक़ात के सम...अम्बुज जी !<br />उस शाम रवीन्द्र भवन में मुलाक़ात के समय पता नहीं था कि आप लेखक हैं और हम दोनों की मुलाक़ात पर भी इतना बढ़िया ,गजब का लिखेंगे ("ज़िप" सहित) और यूनुस जी उस से भी बढ़िया सुनाएंगे ।<br />आज ही यह भी पता चला कि उस रात कमरे पर जाने के बाद आप पर भी क्या बीती ।<br />वो "एक दिन" सचमुच आने पर मुझ पर क्या बीती,अब बताने की जरूरत नहीं और न उस पर किसी नयी कहानी की !<br /> - "वही""वही"noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post-66450554138132179202013-11-03T10:29:02.056+05:302013-11-03T10:29:02.056+05:30वाह. बहुत कठिन है इस प्रकार के विषय पर कहानी कहन...वाह. बहुत कठिन है इस प्रकार के विषय पर कहानी कहना. स्वर ने कहानी में चार चॉद लगा दिए. Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post-5168911020105400382013-11-03T10:21:17.353+05:302013-11-03T10:21:17.353+05:30ये कहानी पढ़ रखी है। पढ़ी कहानी को आपकी आवाज में सुन...ये कहानी पढ़ रखी है। पढ़ी कहानी को आपकी आवाज में सुनना और अच्छा लगा। संवेदनशील कहानी का बेहतरीन पाठ।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com