tag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post193534297680455898..comments2023-11-30T14:13:45.449+05:30Comments on कॉफी-हाउस: अरविंद की कहानी 'रेडियो' (स्वर यूनुस ख़ान)Yunus Khanhttp://www.blogger.com/profile/12193351231431541587noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7320890533745928931.post-51774054756759712012014-01-17T22:03:42.552+05:302014-01-17T22:03:42.552+05:30भले ही ये कहानी हू-ब-हू हमारे माता-पिता और हमारी अ...भले ही ये कहानी हू-ब-हू हमारे माता-पिता और हमारी अपनी ज़िन्दगी की कहानी नहीं है, पर इसने बचपन के घर के एक कमरे में इस छोर से उस छोर तक बँधे, लम्बे से फ़ीतेनुमा एरियल से सिग्नल पकड़ने वाले और एक छोटे-से बक्से बराबर एवरेडी की बैटरी और बिजली से चलने वाले मरफ़ी के उस रेडियो की यादें ताज़ा कर दीं, जो बरसों-बरस काफ़ी कुछ ऐसे ही ज़ुड़ा रहा हम तीनों की भी ज़िन्दगी से ।साथ ही अक्सर तेज़ बुखार में तपते हमारे शरीर पर भीगे कपड़ों की पट्टियाँ रखती माँ और आधी रात कॉलोनी के डॉक्टर को पकड़ कर घर लाते परेशान पिताजी की यादें भी ।<br />हम तो क़ायल हो गये अरविंद जी की अनुभूति- और अभिव्यक्ति- तो यूनुस जी की अन्वेषण-क्षमता के ! <br />डाक साबnoreply@blogger.com